सुनो माँ! (Suno Maa) स्वयं में अद्भुत है, अनूठी है क्योंकि यह विश्व की विविध क्षेत्रों की महान विभूतियों – दलाई लामा, श्री एम योगी, डेविड शिलिंग, किरण मजूमदार शॉ, मिल्खा सिंह, रघु राय ,मौरीन लिपमैन, स्टीफ़न वेस्टबी, माइकल हॉकनी, चेरी ब्लेयर, डॉ कर्ण सिंह, शर्मिला टैगोर, सर क्लिफ रिचर्ड आदि द्वारा अपनी मां को लिखे गए पत्रों का संकलन है। सच जानिए यह केवल पत्र ही नहीं है वरन बहुमूल्य दस्तावेज़ भी हैं जो तत्कालीन परिस्थितियों का इतिहास हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
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दोस्तों और प्यारे पाठकों, हमारे आज के लेखक जो आप सबके सामने अपने जीवन और लेखनी की चर्चा करने आएं हैं उनका नाम है श्री सुनील जोशी | उनका पहला कहानी संग्रह “कच्चे पक्के रंग जिंदगी के” वर्ष 2022 में प्रकाशित हुआ था और फिलहाल वह कविताएं लिख रहे हैं। सुनील जी (Sunil Joshi) के शौक हैं, क्रिकेट खेलना, किताबें पढ़ना विशेष कर शायरी, फिल्में देखना, लघु फिल्में बनाना और यात्राएं करना I
‘कच्चे पक्के रंग ज़िंदगी के’ (Kachche Pakke Rang Zindagi Ke) की कहानियाँ हमारे दैनिक जीवन या हमारे आसपास घटित होने वाली छोटी-छोटी ऐसी कहानियों का पुष्प गुच्छ है जो विभिन्नताओं से भरे चरित्रों, मानवीय संवेदनाओं, शुद्ध एवं कुत्सित मानसिकताओं से युक्त समाज से पाठकों का परिचय कराता है।
रेखा ड्रोलिया जी का यह प्रथम काव्य संकलन है और निस्संदेह यह विषय,भाव, लेखन, भाषा और शैली प्रत्येक दृष्टि से उत्कृष्ट है। इतना ही नहीं रेखा जी ने केवल पुरुष के प्रभुत्व का ही नहीं वरन उसके अंतर्मन की पीड़ा को अभिव्यक्त करने में भी सफलता प्राप्त की है ।इस संकलन में प्रकृति का सौंदर्य है तो प्रकृति के अंधाधुंध दोहन की पीड़ा भी है । उनकी इस कृति में एक और धर्म है तो दूसरी ओर धार्मिक स्थानों का भी मनोहारी चित्रण देखने को मिलता है ।
कथानक का आरंभ ट्रेन से होता है जिसमें दो मित्र सिद्धार्थ और रुद्र यात्रा कर रहे हैं। वे कानून के अध्ययन के लिए कोलकाता जा रहे हैं। सिद्धार्थ खिड़की के सहारे वाली सीट पर सो रहा है तभी आधी रात में उसे अपने पैरों के पास एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई दिखाई देती है। इसके बाद कहानी में रहस्य और रोमांच प्रारंभ हो जाता है। हॉस्टल में अनेक रहस्यमई और डरावनी घटनाएं घटित होने लगती हैं।
जहां तक इस उपन्यास के कालक्रम का प्रश्न है यह 4000 वर्ष पूर्व पृथयानी राजवंश को लेकर रचा गया है, जिसके केंद्रबिंदु 2000 वर्ष (ईसा पूर्व) पृथयानी के राजा अश्रवण, रानी नंदिनी तथा उनका परिवार है।
अपने प्रारंभिक भाग में तो यह ऐतिहासिक परिवेश पर रची गई सामान्य कहानी प्रतीत होती है परंतु, जैसे-जैसे कहानी गति प्राप्त करती है उसमें एक नई सोच और सामाजिक क्रांति का बीजारोपण होता हुआ दिखाई देता है।
कहानी का प्रारंभ दो घनिष्ठ सहेलियों सनाया और अनन्या से होता है जो समाज के दो वर्गों सामान्य तथा आरक्षित से संबंध रखती हैं। इनमें से सनाया का चयन आरक्षण के आधार पर देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में हो जाता है जबकि अनन्या प्रवेश से वंचित रह जाती है। यहीं से इन दोनों सहेलियों की दोस्ती में दरार पड़ जाती है।
पुस्तक का शीर्षक “Einstein Ka Ankaha Siddant” विषय वस्तु के अनुसार सटीक है। यह मन में जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला है। विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत से तो प्रायः सभी परिचित हैं फिर यह कौन सा सिद्धांत है जो अभी तक रहस्य के पर्दे में छुपा हुआ है? यह प्रश्न कौतूहल उत्पन्न करता है।