Category:

Hindi Novels

21   Articles
21
8 Min Read

सुनो माँ! (Suno Maa) स्वयं में अद्भुत है, अनूठी है क्योंकि यह विश्व की विविध क्षेत्रों की महान विभूतियों – दलाई लामा, श्री एम योगी, डेविड शिलिंग, किरण मजूमदार शॉ, मिल्खा सिंह, रघु राय ,मौरीन लिपमैन, स्टीफ़न वेस्टबी, माइकल हॉकनी, चेरी ब्लेयर, डॉ कर्ण सिंह, शर्मिला टैगोर, सर क्लिफ रिचर्ड आदि द्वारा अपनी मां को लिखे गए पत्रों का संकलन है। सच जानिए यह केवल पत्र ही नहीं है वरन बहुमूल्य दस्तावेज़ भी हैं जो तत्कालीन परिस्थितियों का इतिहास हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं।

4 Min Read

दोस्तों और प्यारे पाठकों, हमारे आज के लेखक जो आप सबके सामने अपने जीवन और लेखनी की चर्चा करने आएं हैं उनका नाम है श्री सुनील जोशी | उनका पहला कहानी संग्रह “कच्चे पक्के रंग जिंदगी के” वर्ष 2022 में प्रकाशित हुआ था और फिलहाल वह कविताएं लिख रहे हैं। सुनील जी (Sunil Joshi) के शौक हैं, क्रिकेट खेलना, किताबें पढ़ना विशेष कर शायरी, फिल्में देखना, लघु फिल्में बनाना और यात्राएं करना I

7 Min Read

‘कच्चे पक्के रंग ज़िंदगी के’ (Kachche Pakke Rang Zindagi Ke) की कहानियाँ हमारे दैनिक जीवन या हमारे आसपास घटित होने वाली छोटी-छोटी ऐसी कहानियों का पुष्प गुच्छ है जो विभिन्नताओं से भरे चरित्रों, मानवीय संवेदनाओं, शुद्ध एवं कुत्सित मानसिकताओं से युक्त समाज से पाठकों का परिचय कराता है।

6 Min Read

रेखा ड्रोलिया जी का यह प्रथम काव्य संकलन है और निस्संदेह यह विषय,भाव, लेखन, भाषा और शैली प्रत्येक दृष्टि से उत्कृष्ट है। इतना ही नहीं रेखा जी ने केवल पुरुष के प्रभुत्व का ही नहीं वरन उसके अंतर्मन की पीड़ा को अभिव्यक्त करने में भी सफलता प्राप्त की है ।इस संकलन में प्रकृति का सौंदर्य है तो प्रकृति के अंधाधुंध दोहन की पीड़ा भी है । उनकी इस कृति में एक और धर्म है तो दूसरी ओर धार्मिक स्थानों का भी मनोहारी चित्रण देखने को मिलता है ।

9 Min Read

कथानक का आरंभ ट्रेन से होता है जिसमें दो मित्र सिद्धार्थ और रुद्र यात्रा कर रहे हैं। वे कानून के अध्ययन के लिए कोलकाता जा रहे हैं। सिद्धार्थ खिड़की के सहारे वाली सीट पर सो रहा है तभी आधी रात में उसे अपने पैरों के पास एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई दिखाई देती है। इसके बाद कहानी में रहस्य और रोमांच प्रारंभ हो जाता है। हॉस्टल में अनेक रहस्यमई और डरावनी घटनाएं घटित होने लगती हैं।

7 Min Read

जहां तक इस उपन्यास के कालक्रम का प्रश्न है यह 4000 वर्ष पूर्व पृथयानी राजवंश को लेकर रचा गया है, जिसके केंद्रबिंदु 2000 वर्ष (ईसा पूर्व) पृथयानी के राजा अश्रवण, रानी नंदिनी तथा उनका परिवार है।
अपने प्रारंभिक भाग में तो यह ऐतिहासिक परिवेश पर रची गई सामान्य कहानी प्रतीत होती है परंतु, जैसे-जैसे कहानी गति प्राप्त करती है उसमें एक नई सोच और सामाजिक क्रांति का बीजारोपण होता हुआ दिखाई देता है।

9 Min Read

कहानी का प्रारंभ दो घनिष्ठ सहेलियों सनाया और अनन्या से होता है जो समाज के दो वर्गों सामान्य तथा आरक्षित से संबंध रखती हैं। इनमें से सनाया का चयन आरक्षण के आधार पर देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में हो जाता है जबकि अनन्या प्रवेश से वंचित रह जाती है। यहीं से इन दोनों सहेलियों की दोस्ती में दरार पड़ जाती है।

11 Min Read

पुस्तक का शीर्षक “Einstein Ka Ankaha Siddant” विषय वस्तु के अनुसार सटीक है। यह मन में जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला है। विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत से तो प्रायः सभी परिचित हैं फिर यह कौन सा सिद्धांत है जो अभी तक रहस्य के पर्दे में छुपा हुआ है? यह प्रश्न कौतूहल उत्पन्न करता है।

5 Min Read

Cric Panda Pon Pon Pon की सभी कहानियों में कहीं कोई दुराव-छिपा नहीं है क्योंकि ऋषभ प्रतिपक्ष ने जैसा पढ़ा , सुना, देखा और अनुभव किया उसकी सच्ची तस्वीर पाठकों के सम्मुख ज्यों की त्यों रख दी है।

7 Min Read

दिव्य प्रकाश दुबे का उपन्यास “इब्नबतूती” पहले पन्ने से ही पाठकों को बांधे रखने में पूर्णतः समर्थ है | मैंने जब इस उपन्यास को पढ़ना प्रारंभ किया तो मुझे तब तक चैन नहीं आया जब तक मैंने इसे पूरा नहीं पढ़ लिया।

9 Min Read

‘औघड़’ में एक ओर दलितों की सामाजिक स्थिति का वर्णन किया गया है तो दूसरी ओर बिहार और झारखंड के चुनावों में बाहुबलियों के प्रभुत्व को भी दर्शाया गया है। इसमें प्रेमचंद जी का यथार्थवाद है तो फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यासों की आंचलिकता भी है।

12 Min Read

श्रीनाथ चौधरी का यह उपन्यास तपते रेगिस्तान में ठंडी हवा के झोंके की तरह सुखद अनुभूति कराता है | इस उपन्यास में कौतूहल, भावनाओं की मार्मिकता, प्रकृति का सौंदर्य, युवान के मित्र शौर्य का चंचल स्वभाव आदि अनेक ऐसे प्रसंग हैं जो इसे रोचक और मनोरंजक बनाते हैं |

9 Min Read

संक्षेप में कहूं तो “दोपहरी” उपन्यास को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह हमारे अपने जीवन और पास पड़ोस से जुड़े ऐसे लोगों की कहानी है जो अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके हैं तथा एकाकी जीवन व्यतीत करने के कारण उदासीन और निराश हो गए हैं।

9 Min Read

‘यूपी 65’ आई.आई.टी. बनारस की पृष्ठभूमि पर आधारित उपन्यास है जो 12 खंडों में विभाजित है। जहां तक इस उपन्यास के कथानक का प्रश्न है यह आई.आई.टी. बनारस में देश के कोने-कोने से आए विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर रचा गया है।

9 Min Read

“तीन हज़ार टाँके” में सुधा जी के जीवनानुभव और गहन अनुभूति के दर्शन होते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी ग्यारह ऐसी घटनाओं का वर्णन किया है, जो मनुष्य को निराशा के भँवर से निकालकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

5 Min Read

‘मंटो की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ’ शीर्षक कहानी संग्रह श्री नंदकिशोर विक्रम द्वारा सम्पादित किया गया है। इस संग्रह में सआदत हसन मंटो जैसे उर्दू के ऐसे कहानीकार की कहानियाँ संकलित की गयी हैं जिनकी हिंदी में सर्वाधिक कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। मंटो हिंदुस्तान और पाकिस्तान की साझी विरासत के सशक्त कहानीकार थे।

Message on WhatsApp