उफ्फ कोलकाता (Uff Kolkata) | सत्य व्यास | पुस्तक समीक्षा

Uff Kolkata by Satya Vyas
कहानी: 4/5
पात्र: 4.5/5
लेखन शैली: 4.5/5
उत्कर्ष: 4/5
मनोरंजन: 4.5/5

सत्य व्यास हिंदी कथा साहित्य के ऐसे कथाकार हैं जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह सभी वर्गों के पाठकों में लोकप्रिय हैं। Uff Kolkata उनका नवीनतम उपन्यास है। इससे पूर्व उनकी बनारस टॉकीज, दिल्ली दरबार , चौरासी और बागी बलिया  उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्होंने लोकप्रियता के सभी आयामों को स्पर्श किया है तथा इन उपन्यासों पर फ़िल्म तथा वेब सीरीज भी बनाई गई  हैं।

सत्य व्यास यथार्थवादी कथाकार हैं तथा उनके उपर्युक्त चारों उपन्यास यथार्थ की भाव -भूमि पर तथ्यपरक दृष्टिकोण रखते हुए लिखे गए हैं। परंतु, Uff Kolkata का कथानक इन सब से नितांत भिन्न एक नए विषय को लेकर सत्य व्यास ने बुना है। परंतु जैसा कि मैं पहले ही स्पष्ट कर चुकी हूं कि उनके सभी उपन्यास शोध और तथ्यों पर आधारित होते हैं अतः मेरा यह मानना है कि यह उपन्यास भी शोध परक और तथ्यों के आधार पर ही उन्होंने रचा होगा।

यद्यपि पुस्तक के प्रारंभ में ही उपन्यासकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उपन्यास की घटनाएं कल्पना पर आधारित हैं और इसके लेखन का उद्देश्य किसी भी अंधविश्वास को पोषित करना नहीं है।

इस उपन्यास का प्रकाशन भी उनके अन्य उपन्यासों के समान “हिंद युग्म “द्वारा किया गया है। जिस प्रकार उनके पूर्व प्रकाशित उपन्यास शहरी जीवन पर आधारित हैं, यह उपन्यास भी शहर विशेष अर्थात कोलकाता की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है ।

उपन्यास का प्रारंभ रहस्य और रोमांच से होता है। कथानक का तानाबाना विद्यार्थी जीवन को लेकर बुना गया है। जिसमें प्रेम है, आकर्षण है और है सच्ची दोस्ती। ऐसी दोस्ती जिसमें विरोधी स्वभाव होते हुए भी अभूतपूर्व समझदारी और सामंजस्य दिखाई देता है। जहां तक दोस्ती का प्रश्न है सत्य व्यास के सभी उपन्यासों में दोस्तों की दोस्ती सामान्य से कहीं बहुत ऊपर पहुंची हुई दिखाई देती है।

कथानक का आरंभ ट्रेन से होता है जिसमें दो मित्र सिद्धार्थ और रुद्र यात्रा कर रहे हैं। वे कानून के अध्ययन के लिए कोलकाता जा रहे हैं। सिद्धार्थ खिड़की के सहारे वाली सीट पर सो रहा है तभी आधी रात में उसे अपने पैरों के पास एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई दिखाई देती है। कुछ समय तक दोनों में नोकझोंक होती है। कोलकाता पहुंच कर दोनों एक ही स्टेशन पर उतरते हैं।

Uff Kolkata by Satya Vyas Book Review

इसके बाद कहानी में रहस्य और रोमांच प्रारंभ हो जाता है। हॉस्टल में अनेक रहस्यमई और डरावनी घटनाएं घटित होने लगती हैं। कथाकार ने खौफ उत्पन्न करने की दृष्टि से अनेक डरावने दृश्यों का संयोजन कथानक में किया है। धीरे-धीरे कहानी आकार ग्रहण करने लगती है और एक सामान्य सी दिखाई देने वाली प्रेम कहानी रहस्य से भरपूर हो जाती है तथा पाठक उसमें इस प्रकार डूबने लगता है कि उसके किसी भी सिरे को छोड़ना नहीं चाहता। यही जिज्ञासा कथानक की सफ़लता को सिद्ध करती है।

अब बात करते हैं हम सत्य व्यास के लेखन की, तो वह एक उत्कृष्ट कथाकार हैं तथा उत्कृष्टता उनके लेखन में भी दिखाई देती है। सीधी सरल-हिंदी की शब्दावली के साथ-साथ उन्होंने स्थानीय शब्दों का प्रयोग भी बहुत ख़ूबसूरती से किया है। सार्थक और सटीक लोकोक्तियों के प्रयोग ने भाषा में चार चांद लगा दिए हैं।

नई हिंदी में यद्यपि गाली युक्त भाषा के प्रयोग का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है ।परंतु, सत्य व्यास की भाषा में अत्यल्प मात्रा में इस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग किया गया है।

Uff Kolkata उपन्यास की पृष्ठभूमि कोलकाता है इसलिए बांग्ला शब्दों का प्रयोग उन्होंने प्रचुर मात्रा में किया है। सत्य व्यास की लेखन- शैली अद्भुत है। अपनी बात को जिस सहजता से वह पाठकों के सामने रखते हैं वह प्रशंसनीय है। इस भाषा के कुछ उदाहरण है-वही चप्पल का चुइंगम बना हुआ है, उसके दिमाग में कुछ ख़ुराफ़ात पक रहा था तथा वह चेहरे से ठीक वही भाव दे रहा था जैसे भाव देख बाज़ार में खिड़कियों पर टंगी औरतें देती है।

संक्षेप में कहें तो सत्य व्यास ने उपन्यास में अंग्रेजी-उर्दू मिश्रित बोलचाल की ऐसी हिंदी भाषा का प्रयोग किया है जिसमें स्वाभाविकता सर्वत्र विद्यमान है।  यही कारण है कि उपन्यास के पात्रों ने स्थानीय ‌शब्दों -लप्पड़़,दिहिस, बरगलाते आदि का भी निसंकोच प्रयोग किया है। यदि यह कहा जाए कि सत्य व्यास भाषा के उत्कृष्ट कारीगर हैं तो ग़लत ना होगा।

अब हम बात करते हैं उपन्यास Uff Kolkata के पात्रों की। सत्य व्यास के इस उपन्यास में सिद्धार्थ, रुद्र, चेतन तथा मोहिनी प्रमुख पात्र हैं। इनमें से सिद्धार्थ और मोहिनी के इर्द- गिर्द ही पूरा कथा- क्रम चलता है, इसलिए इनकी महत्ता कुछ अधिक है।

इसके अतिरिक्त कॉलेज के विद्यार्थी, आदि अनेक पात्रों की संरचना भी सत्य व्यास ने कहानी को गति प्रदान करने के लिए की है। कथानक में जिस प्रकार पात्र -संयोजन और रहस्य- रोमांच से भरी घटनाओं की सृष्टि की गई है वह सराहनीय है।

21वीं सदी में इस प्रकार के कथानक जिनमें भूत प्रेत आदि की कल्पना की गई हो अस्वाभाविक ही लगते हैं। परंतु, कथाकार ने जिस कुशलता से इसके ताने-बाने बुने हैं, वे रुचिकर और कौतूहल उत्पन्न करने वाले हैं क्योंकि कहानी कब और कहां किस प्रकार गति पकड़ेगी  इसका अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता।

सभी पात्र अपनी -अपनी भूमिका के निर्वहन में खरे उतरते हैं। रुद्र और चेतन अपने मित्र सिद्धार्थ की परछांई बनकर हमेशा उसके साथ रहते हैं। उसकी चिंता करते हैं और हर संभव सहायता करने के लिए तत्पर भी रहते हैं।

Uff Kolkata by Satya Vyas Book

छोटे-छोटे संवाद उपन्यास के सौंदर्य में वृद्धि करते हैं और पाठकों पर अमिट छाप छोड़ते हैं। मित्रों के बीच आपसी बातचीत, एक दूसरे की टांग खिंचाई और हास -परिहास उपन्यास को मनोरंजक बनाते हैं तथा रहस्य, रोमांच और भय उत्पन्न करने वाले वातावरण में यह पाठकों को हल्केपन का अनुभव कराने में भी पूर्णतः सफल हैं।

यदि उपन्यास के चरमोत्कर्ष पर विचार किया जाए तो यह पाठकों को कौतूहल के घेरे में खड़ा कर देता हैऔर उसके सामने अनेक प्रश्नों की झड़ी लगा देता है। उपन्यास के पहले पन्ने से ही पाठक इसी उधेड़बुन में लगा रहता है कि अब क्या होगा? मोहिनी का रहस्य क्या है? सिद्धार्थ और मोहिनी का मिलन होगा या नहीं? ऐसे अनेक प्रश्नों के बीच पाठक डूबता- उतरता रहता है।

उपन्यास के अंतिम अध्याय में रहस्य के बादल धीरे-धीरे छंटने लगते हैं और कथानक चरमोत्कर्ष तक का सफ़र सफ़लता से पूरा कर लेता है।

सत्य व्यास के सभी उपन्यासों के शीर्षक (चौरासीको छोड़कर) स्थान विशेष पर आधारित है।Uff Kolkata भी कोलकाता महानगर के इर्द-गिर्द ही घूमता है। सत्य व्यास को संगीत से विशेष लगाव है इसलिए उनके उपन्यासों के उपशीर्षक संगीतमय होते हैं। परंतु, उनका यह उपन्यास इस दृष्टि से अपवाद है क्योंकि इसके उपशीर्षक इसके विषय के अनुसार रहस्यमय है।

अंततः यही कहना चाहूंगी कि अन्य उपन्यासों की भांति सत्य व्यास का यह उपन्यास भी लोकप्रियता प्राप्त करने में पूर्णतः समर्थ है। यह सभी वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय है क्योंकि इसमें रहस्य, रोमांच, प्रेम, मनोरंजन, विद्यार्थी जीवन की झलकियां सभी कुछ मौजूद है। इसमें एक ओर रूढ़िवादी सोच है तो दूसरी ओर उसका तात्विक पक्ष भी कथाकार ने प्रस्तुत किया है।

परंतु जहां तक मेरा विचार है जो पाठक सत्य व्यास के यथार्थ परक और शोध पूर्ण उपन्यासों के प्रशंसक हैं संभवतः यह उपन्यास उन्हें इतना पसंद ना आए।

फिर भी इतना अवश्य कहना चाहूंगी कि इसे सभी वर्ग के पाठक पढ़ सकते हैं और एक नए विषय पर सत्य व्यास की लेखनी के आकर्षण से रूबरू हो सकते हैं।

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