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पुस्तक समीक्षा

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रेखा ड्रोलिया जी का यह प्रथम काव्य संकलन है और निस्संदेह यह विषय,भाव, लेखन, भाषा और शैली प्रत्येक दृष्टि से उत्कृष्ट है। इतना ही नहीं रेखा जी ने केवल पुरुष के प्रभुत्व का ही नहीं वरन उसके अंतर्मन की पीड़ा को अभिव्यक्त करने में भी सफलता प्राप्त की है ।इस संकलन में प्रकृति का सौंदर्य है तो प्रकृति के अंधाधुंध दोहन की पीड़ा भी है । उनकी इस कृति में एक और धर्म है तो दूसरी ओर धार्मिक स्थानों का भी मनोहारी चित्रण देखने को मिलता है ।

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Cric Panda Pon Pon Pon की सभी कहानियों में कहीं कोई दुराव-छिपा नहीं है क्योंकि ऋषभ प्रतिपक्ष ने जैसा पढ़ा , सुना, देखा और अनुभव किया उसकी सच्ची तस्वीर पाठकों के सम्मुख ज्यों की त्यों रख दी है।

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दिव्य प्रकाश दुबे का उपन्यास “इब्नबतूती” पहले पन्ने से ही पाठकों को बांधे रखने में पूर्णतः समर्थ है | मैंने जब इस उपन्यास को पढ़ना प्रारंभ किया तो मुझे तब तक चैन नहीं आया जब तक मैंने इसे पूरा नहीं पढ़ लिया।

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