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तीन हज़ार टाँके

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“तीन हज़ार टाँके” में सुधा जी के जीवनानुभव और गहन अनुभूति के दर्शन होते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी ग्यारह ऐसी घटनाओं का वर्णन किया है, जो मनुष्य को निराशा के भँवर से निकालकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

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