पात्र: 3/5
लेखन शैली: 3/5
उत्कर्ष: 2.5/5
मनोरंजन: 3/5

Chamakate Phool Mahakate Taare” नवोदित कवयित्री सीमा शुक्ला मिश्रा का पहला प्रकाशित काव्य संग्रह है। इसका प्रकाशन ब्लू रोज पब्लिशर्स द्वारा अप्रैल 2019 में किया गया। इस काव्य संग्रह पर चर्चा करने से पूर्व मै इसकी रचनाकार सीमा शुक्ला मिश्रा जी से सभी पाठकों का परिचय कराना चाहती हूं। सीमा जी झांसी उत्तर प्रदेश की निवासी हैं तथा उन्होंने एमएससी वनस्पति विज्ञान से उत्तीर्ण किया है। उन्होंने शोध कार्य भी किया जो दुर्भाग्यवश पूरा नहीं हो सका।

हिंदी कविताओं के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था और उनके अनुसार उन्होंने आठवीं कक्षा से कविताएं लिखना आरंभ कर दिया था। जहां तक इस काव्य संग्रह का प्रश्न है इसमें उनकी चालीस कविताओं को स्थान प्रदान किया गया है। सभी कविताओं में विषय वैविध्य है। भाव और कथ्य दोनों ही दृष्टियों से वे एक दूसरे से सर्वथा भिन्न है।

सभी कविताएं विभिन्न समयों, स्थानों, परिस्थितियों एवं परिवेश में रची गई हैं। अतः उनमें विभिन्नता स्वाभाविक है। कवयित्री सीमा शुक्ला मिश्रा जी की कविताओं को विभिन्न श्रेणियों में रखा जा सकता है। उनकी कुछ कविताएं जैसे-ये अदाएं, स्पर्श आदि प्रेम में रची-पगी कविताएं हैं, जिनमें संयोग का माधुर्य है तो वियोग की कल्पना मात्र से ही मन की आकुलता का भाव प्रकट होता है।

वहीं स्पर्श, आखिर क्यों, Chamakate Phool Mahakate Taare आदि कविताएं उनकी भावना प्रधान कविताएं हैं, जिनमें भावों की गहनता के साथ-साथ वैचारिकता के दर्शन भी होते हैं। इसके अतिरिक्त जलन, केकड़ा आदि मानवीय भावों को अभिव्यक्ति प्रदान करने वाली रचनाएं हैं। इन रचनाओं में समाज की वर्तमान स्थितियों और आज के मानव की क्षुद्र भावनाओं का बहुत सटीक और यथार्थ चित्रण किया गया है।

मनुष्य का जीवन सुख और दुख दोनों से समन्वित है। प्रायः हम दुख पूर्ण स्थितियों से किनारा कर लेते हैं और सुखों की अनुभूति से आनंदित होते रहते हैं। कुछ इसी प्रकार के सुखद पलों को कवयित्री सीमा जी ने अपनी रचनाओं में स्थान प्रदान किया है। इन रचनाओं को हम वैयक्तिक रचनाएं भी कह सकते हैं। इस प्रकार की कुछ कविताओं में-पुत्र के प्रति, बेटी का जन्म, बेटी की सीख आदि उल्लेखनीय कविताएं हैं।

जीवन के अनुभव हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। यदि हम यह कहें कि ये भी एक प्रकार के शिक्षक हैं तो गलत ना होगा।रचनाकार इन अनुभवों को शब्दों में गूंथकर पाठकों के साथ साझा करता है। इस प्रकार की कुछ रचनाएं जैसे-भारतीय नारी: अर्धांगिनी, प्रयत्न आदि है।
कवयित्री सीमा शुक्ला मिश्रा वर्तमान सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं पर भी पैनी दृष्टि रखती हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपनी रचनाओं में देश और समाज के ज्वलंत मुद्दों को भी कविता के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाया है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली के प्रति उनके मन में असंतोष है, वह प्रदूषित वातावरण के प्रति भी सचेत हैं और इसके लिए उन्होंने समूची मानव-जाति को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे सुधारने की चेतावनी भी दी है।

उन्होंने संभवत: आरक्षण के दंश को झेला है और इसीलिए उनकी वेदना ‘प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक पत्र’ तथा आरक्षण कविता में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। उन्होंने आरक्षण का जमकर विरोध किया है और उसके कारणों पर गंभीर चिंतन -मनन करते हुए इसे समाप्त करने की पुरजोर वकालत की है।

कुछ कविताओं में ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था भी दिखाई देती है। उपरोक्त विविध विषयों के अतिरिक्त सीमा जी ने बहुत सुंदर प्रेरणास्पद कविताओं को भी इस संकलन में स्थान प्रदान किया है। इनमें प्रमुख हैं-हार मैं मानती नहीं, आज-आज की बात करो, निरंतरता, सफलता आदि।

पाप और पुण्य तथा संतोषी सदा सुखी की भारतीय विचारधारा को भी उन्होंने कविताओं के माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।

प्रत्येक रचनाकार की रचनाओं में उसका व्यक्तिगत जीवन भी कहीं ना कहीं उभरकर आ ही जाता है। सीमा जी ने कुछ कविताओं में अपनी नितांत वैयक्तिक भावनाओं को भी प्रस्तुत किया है। इस प्रकार की कविताओं में-पुत्र के प्रति, बेटी का जन्म, आई विश, महारथी आदि कविताएं प्रमुख हैं | देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान कर देने वाले सैनिकों के प्रति वह भावभीनी शब्दों में अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करना भी नहीं भूली हैं।

इसके अतिरिक्त विभिन्न विषयों पर उनके द्वारा रचित अनेक ऐसी रचनाएं भी हैं जिनका आनंद इस काव्य-संकलन Chamakate Phool Mahakate Taare को पढ़कर ही पाठक प्राप्त कर सकते हैं।

अपने भावों और विचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए सीमा जी ने बहुत खूबसूरती से सुंदर सरल शब्दों में पिरोया है। उनकी भाषा सीध- सादी व्यवहारिक भाषा है। भाषा की यह विशेषता उनकी सभी कविताओं में देखी जा सकती है।

शुद्ध साहित्यिक शब्दों के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी खुलकर प्रयोग किया है।
मेरा अपना मानना है कि वर्तमान परिवेश में जब धीरे- धीरे अंग्रेजी हिंदी भाषा पर हावी होती जा रही है और हिंदी का आकर्षण तथा स्वाभाविक सौंदर्य लुप्त होता जा रहा है, हमें अपनी रचनाओं में अंग्रेजी शब्दों के स्थान पर सहज-सरल हिंदी शब्दों का प्रयोग करना बहुत जरूरी है।

इस काव्य संकलन में भी मुझे यही एक बात है जो कचोटती रही है। सीमा जी ने इन हिंदी कविताओं में अंग्रेजी शब्दों का बहुतायत से प्रयोग किया है।

जहां तक Chamakate Phool Mahakate Taare के शीर्षक का प्रश्न है-चमकते फूल महकते सितारे’एक नया दृष्टिकोण और एक नई जीवन दृष्टि प्रस्तुत करता है। यह इंगित करता है कि किस प्रकार एक दूसरे के गुणों को आत्मसात करके हम श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तक की अन्य रचनाएं इस शीर्षक की सार्थकता स्वत: सिद्ध कर देती हैं।

जो पाठक अपने जीवन, समाज और राष्ट्र से जुड़े हैं, जो देश और समाज की समस्याओं को जानना चाहते हैं तथा उन को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं, जो सीधी-सरल और उपयोगी कविताएं पढ़ने में रुचि रखते हैं उनके लिए यह काव्य संग्रह विशेष रूप से पठनीय है।
पुस्तक में संपादन से संबंधित कुछ त्रुटियां भी हैं जिन्हें दूर किया जा सकता है। यह कवयित्री का प्रथम प्रयास है और इसके लिए वह बधाई की पात्र हैं ।मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूं।

आप इस पुस्तक को खरीदने के लिए इस लिंक का प्रयोग कर सकते हैं |